श्री शिव चालीसा

शिव चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव पर आधारित है। शिव चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग प्रतिदिन अथवा महा शिवरात्रि सहित भगवान शिव को समर्पित अन्य त्योहारों पर शिव चालीसा का पाठ करते हैं।

॥ दोहा ॥

जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥

नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा। तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥

मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान। स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥

॥ चौपाई ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥

मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥ कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥